मैं प्रभु श्रीराम के नाम ‘राम’ की वन्दना करता हूँ जिसे भज कर अनगिनत भक्तजन भवसागर से पार उतर गए। राम नाम के बल पर हीं शिव जी काशी में शरीर त्यागने वालों को मोक्ष प्रदान करते हैं। प्रभु के नाम का स्मरण करके हीं शिव जी ने कालकूट विष का पान कर लिया था। राम नाम के बल पर हीं गणेश जी प्रथम पूज्य हो गए। राम नाम को भज कर हीं नारद जी ने देवर्षि का पद पाया और राम नाम के बल पर हीं हनुमान जी महाबीर हो गए। हे मानव! अमृत रूप राम नाम का अवश्य भजन करो। यह राम नाम हीं अपार भवसागर से पार उतारेगा। इसी प्रसंग पर प्रभु कृपा से रचित यह रचना:….
भजले नाम राम रघुबीरा । सुमिरत नाम सुमति चलि आवै, मिटै दोष दुख पीरा ।। भजले नाम राम……… नाम के बल हीं काशी में शिव, देत गती अविनाशी । नाम के बल हीं भोलेनाथ जी, हो गए घट घट वासी । प्रभु के नाम सुमिरि शंकर जी, पी गए जहर गँभीरा ।। भजले नाम राम……… नाम के बल गणपति जी हो गए, प्रथम पूज्य जग माहीं । नाम सुमिरि के मुनि नारद जी, देवर्षी कहलाहीं । नाम के बल हीं हनूमान जी, होइ गए महाबीरा ।। भजले नाम राम……… नाम के बल अनगिनत भक्तजन, हो गए बैकुण्ठ वासी । नाम तुम्हार अमिय जग जीवन, कृपासिन्धु सुखराशी । टेर सुनो अब ब्रह्मेश्वर की, हृदय न धारे धीरा ।। भजले नाम राम………