DHARM भजले चरन कमल रघुराई……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र admin February 6, 2025 प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :—–. भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि निकली , जग तारनी कहाई । भजले चरन कमल……….. जेहि चरनन से तरी अहिल्या , शिला नारि बनि जाई । भजले चरन कमल……….. जेहि चरनन केवँट धोइ लिन्हा, तब हरि नाव चढ़ाई । भजले चरन कमल………. जेहि चरनन की चरन पादुका , भरत रहे चित लाई । भजले चरन कमल……….. जेहि चरनन में प्रान त्याग कर , गिद्ध परमपद पाई । भजले चरन कमल……….. रचनाकार : ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र