DHARM प्रकृति की होली -ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र admin March 3, 2025 होली की अनन्त शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मेरी रचना “प्रकृति की होली” :—— ******प्रकृति की होली******* शुक पिक कोकिल बोलत बोली । जिमि बसन्त संग खेलत होली ।। प्रकृती पुरुष भए मदमस्त । जिमि रति काम भए सब ग्रस्त ।। बेलि बृक्ष गलबहियाँ मेलत । जिमि प्रिय प्रियतम होली खेलत ।। त्रिविध बयार पत्र तृण डोलत । धीर पुरुष मन मधु रस घोलत ।। पुष्प बाण ले काम पधारा । रतिमय भए जगत सब सारा ।। रचनाकार : ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र