कन्यादान…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कन्यादान —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित प्यार दुलार दिया ।…

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आओ प्रिये….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 आओ प्रिये —- प्यार का मौसम प्रिये, आया बहार लेकर । हैं पल्लवित पुष्पित तरू, यौवन खुमार लेकर । कोयल बुलावत हे प्रिये, कुहु कुहु…

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