फेसबुक …..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

फेसबुक —-

जुकरबर्ग ने दिया उपहार ,
सबके जीने का आधार ।
रहा न जाए बिना फेसबुक ,
हम सब करते इससे प्यार ।
दुनिया के कोने कोने से ,
जुड़ गए कितने मित्र हजार ।
कितने भाई बहनें जोड़े ,
कितने जोड़े हृदय अपार ।
इसीलिए हम सब करते हैं ,
फेसबूक से इतना प्यार ।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र