—–आरती —– आरति लागे हो ए लला रउरी आरति लागे । राम जी की लागे भरत जी की लागे, लखन सहित रिपूसूदन की । रउरी…
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आयो बनवाँ से राम लखन और सिया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम बन से अयोध्या लौट आए हैं । अवध को पूरी तरह से सजा दिया गया है । सखियाँ मंगल गीत गा रही…
View More आयो बनवाँ से राम लखन और सिया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम अवध में आए सुनो मोरे भैया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वनवास की अवधि पूर्ण कर अयोध्या लोट आए हैं। तुरंत उनका राज्याभिषेक हुआ। अयोध्या में उत्सव मनाया जा रहा है। अवधवासियों के आनन्द…
View More राम अवध में आए सुनो मोरे भैया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभज मन राम चरन चित लाई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम के चरणकमल की वन्दना मेरी रचना के माध्यम से :—–. भज मन राम चरन चित लाई । भज मन राम चरन………..…
View More भज मन राम चरन चित लाई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकि आरे भाई राम नाम सुखदाई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर मिलता है पर मनुष्य इस संसार में आकर भोग विलास में डूब जाता है और प्रभु को भूल जाता…
View More कि आरे भाई राम नाम सुखदाई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमूरारी गिरवरधारी राखो लाज हमारी…..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
द्रौपदी के चीरहरण पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—-. मूरारी गिरवरधारी राखो लाज हमारी । हो मूरारी गिरवरधारी राखो……… बीच सभा में देखो दुष्ट दुशासन,…
View More मूरारी गिरवरधारी राखो लाज हमारी…..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रऐ हनुमत तोह से उरिन हम नाहीं……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
लंका युद्ध समाप्त होने के पश्चात् प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को हृदय से लगा कर कहा कि हे हनुमान जगत में तुम्हारे समान मेरा…
View More ऐ हनुमत तोह से उरिन हम नाहीं……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रनाथ पार हम उतरबो जी चरनियाँ धोइ के….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भगवान राम गंगा पार उतरना चाहते हैं पर केवट नाव नहीं ला रहा है, कहता है कि हे नाथ जब तक चरण नहीं धुलाईयेगा तब…
View More नाथ पार हम उतरबो जी चरनियाँ धोइ के….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे मैया शारदे अरज मोर सुन लो….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना सरस्वति वन्दना :——-. हे मैया शारदे अरज मोर सुन लो , भक्तन का करदो कल्यान । हे जननी भक्तन का…
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बड़े भाग्य से यह मानव शरीर मिलता है । इस शरीर को पा कर सुन्दर कर्म करना चाहिये तभी इस पावन शरीर को पाने की…
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