चास में अवैध लॉटरी कारोबार का बोलबाला, पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल

  • काशी, सुबोध व राजू का नेटवर्क फैला है पूरे चास में।
  • स्थानीय लोगों का आरोप, पुलिस प्रशासन की है मिलीभगत।

बोकारो: चास थाना क्षेत्र में अवैध लॉटरी टिकटों की बिक्री बेरोकटोक जारी है और पुलिस प्रशासन की इस पर लगाम लगाने में नाकामी ने स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ा दिया है। पिछले 10 वर्षों से चल रहे इस अवैध कारोबार का संचालन काशी, सुबोध और राजू के नेटवर्क द्वारा किया जा रहा है, जो पूरे चास में फैला हुआ है। प्रतिदिन लाखों रुपए की कमाई इस अवैध लॉटरी से हो रही है, बावजूद इसके पुलिस प्रशासन का कोई ठोस कदम न उठाना सवालों के घेरे में है।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन और इस अवैध लॉटरी कारोबार के बीच गहरी मिलीभगत हो सकती है। कई बार इस धंधे के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि इस लापरवाही के चलते चास की हर गली में लॉटरी टिकटों की खुलेआम बिक्री हो रही है, जिससे न केवल अपराध बढ़ने का खतरा है, बल्कि युवाओं पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

इस मामले में पुलिस प्रशासन की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आखिर कैसे इतने लंबे समय से चल रहे इस अवैध व्यापार से प्रशासन अनजान है? क्या यह संभव है कि पुलिस को इसकी भनक न हो? या फिर इसके पीछे कोई गहरा सांठगांठ है?

कुछ दिनों पहले ही राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने अपराध पर नकेल कसने के सख्त निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके, अगर चास में ऐसे अवैध कार्य होते रहते हैं, तो यह पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

स्थानीय लोग अब न्याय की आस लगाए बैठे हैं और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह अवैध कारोबार और विकराल रूप ले सकता है, जिससे क्षेत्र में अपराध और असामाजिक गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।

पुलिस प्रशासन की चुप्पी और कारोबार का विस्तार

चास में फैले इस अवैध लॉटरी के जाल से ना केवल क्षेत्र में अपराध की संभावनाएं बढ़ रही हैं, बल्कि इसका समाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय नागरिकों की शिकायतों के बावजूद पुलिस की उदासीनता, मिलीभगत के आरोपों को और बल दे रही है। जब तक प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाता, यह अवैध लॉटरी कारोबार फलता-फूलता रहेगा और समाज के लिए खतरा बना रहेगा।