होली की अनन्त शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मेरी रचना “प्रकृति की होली” :—— ******प्रकृति की होली******* शुक पिक कोकिल बोलत बोली । जिमि बसन्त…
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मत डारो रंग रघुबीरा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना होली गीत :—– मत डारो रंग रघुबीरा । मोरी भीगत चुनरिया चीरा रे । मत डारो रंग…………… घर से निकली…
View More मत डारो रंग रघुबीरा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचुनर भइ गीली मोहन मुरारी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बसन्त पंचमी से होली का भी शुभारंभ हो जाता है और यह चालिस दिनों तक चलता है और होली के दिन इसकी समाप्ति होती है।…
View More चुनर भइ गीली मोहन मुरारी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसाँवरे संग मैं खेलूँ न होरी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
राधा कृष्ण की होली। राधा जी कहतीं हैं कि मैं साँवरे के साथ होली नहीं खेलूँगी। वह मेरी गगरी फोड़ देता है, मेरी बाँह मरोरता…
View More साँवरे संग मैं खेलूँ न होरी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रन खेलूँ साँवरे होली…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कान्हा राधा को होली खेलने के लिए बुलाते हैं, राधा कहतीं हैं कि हे साँवरिया तुम मुझे क्यूँ बुलाते हो मैं तुम्हारे साथ होली नहीं…
View More न खेलूँ साँवरे होली…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचलो री सजनी देखन गौरी दुलहवा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब सखियों ने सुना कि विचित्र बारात सजा कर पार्वती का दुल्हा आया है तो कहतीं हैं कि चलो पार्वती का दुल्हा देखने और शिव…
View More चलो री सजनी देखन गौरी दुलहवा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआरति लागे हो ए लला रउरी आरति लागे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
—–आरती —– आरति लागे हो ए लला रउरी आरति लागे । राम जी की लागे भरत जी की लागे, लखन सहित रिपूसूदन की । रउरी…
View More आरति लागे हो ए लला रउरी आरति लागे ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआयो बनवाँ से राम लखन और सिया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम बन से अयोध्या लौट आए हैं । अवध को पूरी तरह से सजा दिया गया है । सखियाँ मंगल गीत गा रही…
View More आयो बनवाँ से राम लखन और सिया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम अवध में आए सुनो मोरे भैया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम वनवास की अवधि पूर्ण कर अयोध्या लोट आए हैं। तुरंत उनका राज्याभिषेक हुआ। अयोध्या में उत्सव मनाया जा रहा है। अवधवासियों के आनन्द…
View More राम अवध में आए सुनो मोरे भैया…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभज मन राम चरन चित लाई…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है प्रभु श्रीराम के चरणकमल की वन्दना मेरी रचना के माध्यम से :—–. भज मन राम चरन चित लाई । भज मन राम चरन………..…
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