प्रस्तुत है लव कुश प्रसंग पर मेरी ये रचना :—– बनवाँ में जनमे ललनवाँ , मगन भयो सिया जी के मनवाँ । बालमीकि मुनि सगुन…
View More बनवाँ में जनमे ललनवाँ………..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
करम गति टारे नाहिं टरे………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कर्म की गति टाले नहीं टल सकती। प्रभु बिरले किसी को मनुष्य शरीर देते हैं पर इस संसार में आकर मनुष्य प्रभु को भूल कर…
View More करम गति टारे नाहिं टरे………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतुम बिन हमरी कौन खबर ले…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– तुम बिन हमरी कौन खबर ले , माधव मदन मुरारी जी । तुम शरणागत…
View More तुम बिन हमरी कौन खबर ले…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराखो अपनी शरन में रघुबंश मनी……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :— राखो अपनी शरन में रघुबंश मनी । मैं तो कपटी कुटिल खल लोभी प्रभू…
View More राखो अपनी शरन में रघुबंश मनी……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररे मनुवाँ हरि चरनन के लोभी …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मन को भँवरा और प्रभु के चरण को कमल से उपमा दी गई है । जिस प्रकार भँवरा कमल पर लुभाए रहता है उसी प्रकार…
View More रे मनुवाँ हरि चरनन के लोभी …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजपत मन आनन्द हरि हरि…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु का नाम जपने से मन में जो आनन्द की अनुभूति होती है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें…
View More जपत मन आनन्द हरि हरि…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररखियो राखी की लाज………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक राखी के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें एक बहन अपने भाई से देखिये क्या…
View More रखियो राखी की लाज………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकरिल प्रभु के चरनियाँ में…….….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी रचना भोजपुरी में लिखा भजन जिसमें जिन्दगी की सच्चाई वर्णित है । मनुष्य का जन्म सत्कर्म करने के लिये मिलता है परंतु…
View More करिल प्रभु के चरनियाँ में…….….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसनातन धर्म: prescriptions या restrictions?
PURNENDU PUSHPESH सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की जड़ों में गहराई से व्याप्त है।…
View More सनातन धर्म: prescriptions या restrictions?हर तरफ प्रभु यही अफसाने हैं……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में जिसमें मैने प्रभु से विनती की है कि आपने किसी न किसी बहाने से केंवट,…
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