तेरी दासी पड़ी है तेरे द्वार…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक दासी की करुण पुकार मेरी इस रचना के माध्यम से:—- तेरी दासी पड़ी है तेरे द्वार, सँवरिया फेरो नजरिया । मैं तो प्रभू तेरी…

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समस्त चराचर जगत ही राममय है…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

समस्त चराचर जगत ही राममय है- मैने समस्त चराचर जगत को राममय देखा । मैने पवित्र कामधेनु में राम को देखा , मैने गंदी नाली…

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रँगाली मैने चुनरी साँवरिया तोरे रंग में…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु के रंग में जो रंग गया वो भवसागर पार उतर गया।। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—– रँगाली मैने चुनरी साँवरिया…

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आजा मोरे राम जी चरनियाँ पखारौं…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम गंगा पार उतरना चाह रहे हैं पर केंवट नाव नहीं ला रहा है, कहता है कि हे प्रभु जब तक चरण नहीं धुलाइएगा…

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कन्हैया तेरी मुरली शौतन भई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राधा कहती हैं कि हे कन्हैया तुम्हारी मुरली तो मेरी शौतन हो गई है। दिन रात तुम इसे अपने अधरों पर धारण किए हुए रहते…

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शरणागतम् त्वम् पाहिमाम्…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मैनें इस रचना को तब लिखा था जब सारा विश्व कोरोना वायरस के संकट से त्रस्त था। मैने अपनी इस रचना के माध्यम से माँ…

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काहें गैल भैया हो अवधवा के छोड़ि के…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम वन में चले गए हैं। भरत जी भाई विरह में व्याकुल होकर विलाप कर रहे हैं। प्रस्तुत है इसी प्रसंग पर भोजपुरी में…

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चलो रे मन प्रभु जी के द्वारे चलो…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी रचना ‘प्रभु जी के द्वारे चलो’—– चलो रे मन प्रभु जी के द्वारे चलो । काम क्रोध मद को विसारे चलो ।।…

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हमरा के छोड़ि के ना जैह…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम ने वन नहीं जाने के लिए बहुत प्रकार से सीता जी को समझाया। वन के भयानक दुख को बताया पर सीता जी नहीं…

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बोल बोल भैया मोरे, राम राम बोल रे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम राम बोलने से प्राणी मात्र के प्राणों में राम रस का संचार हो जाता है इसलिए हे सज्जनों राम का भजन करो। राम राम…

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