समस्त चराचर जगत ही राममय है…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

समस्त चराचर जगत ही राममय है-

मैने समस्त चराचर जगत को राममय देखा ।
मैने पवित्र कामधेनु में राम को देखा ,
मैने गंदी नाली के कीड़ों में भी राम को देखा ।
मैने आकाश में उड़ते पक्षियों में राम को देखा ,
मैने पृथ्वी पर चलते पशुओं में भी राम को देखा ।
मैने जलचर प्राणियों में राम को देखा ,
मैने उभयचर प्राणियों में भी राम को देखा ।
मैने दीवारों में राम को देखा ,
मैने पत्थरों में भी राम को देखा ।
मैने बृक्षों में राम को देखा ,
मैने हर पौधों मे भी राम को देखा ।
मैने तुम में भी राम को देखा ,
मैने अपने आप में भी राम को देखा ।
मैने समस्त चराचर जगत को राममय देखा ।
हर प्राणियों से प्यार करो ,
हर प्राणियों का सत्कार करो ।
ना जाने किस वेष में नारायण मिल जायँ ।

 

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र