भक्तवत्सल भगवान नारायण अपने भक्तों पर अहैतुकी कृपा करते हैं। अपने भक्तों की रक्षा हर प्रकार से करते हैं। नारद जी को पथभ्रष्ट होने से…
View More नारायण भज नारायण……….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
मैं तो साँवरिया के रंग में रँगायो चुनरी…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु के रंग में जो रंग गया वो भवसागर पार उतर गया । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——- मैं तो साँवरिया…
View More मैं तो साँवरिया के रंग में रँगायो चुनरी…..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररे मन क्यूँ नहिं भजता हरि को……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रे मन जिस प्रभु को भज कर केवट, शबरी, गणिका, गिद्ध, अजामिल तर गए उस प्रभु को तू क्यों नहीं भजता ? जिस प्रभु को…
View More रे मन क्यूँ नहिं भजता हरि को……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररघुबीर तुम्हारे चरणों में…… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– रघुबीर तुम्हारे चरणों में, शत कोटि प्रणाम हमारा । मैं कामी क्रोधी और लोभी…
View More रघुबीर तुम्हारे चरणों में…… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआयो रघुबीर शरन तेरी मैं तो……ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—– आयो रघुबीर शरन तेरी मैं तो । मैं कामी क्रोधी और लोभी, कपटि कुटिल विषयी…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—– अब राखो शरन कृपालु हरी । मैं कामी क्रोधी और लोभी , कपटि कुटिल…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——– हरि बिनु हरिहैं कवन दुख मेरो । यह संसार सागर अपार प्रभु , डूबि…
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पंचतत्व से बना मनुष्य का यह शरीर एक दिन मिट्टी में हीं मिल जाना है। धन दौलत सब धरा का धरा हीं रह जाएगा फिर…
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चुनरिया हो गइ मैली मोरी। मैने अपनी इस रचना में चुनरी को शरीर की संज्ञा दी है। मनुष्य जब जगत में आता है तो उसका…
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रे मूरख प्राणी तू राम को कहाँ खोज रहा है ? राम तो तेरे मन के अन्दर हीं बैठे हैं और तू तीर्थ तीर्थ मन्दिर…
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