प्रभु श्रीराम ने वन नहीं जाने के लिए बहुत प्रकार से सीता जी को समझाया। वन के भयानक दुख को बताया पर सीता जी नहीं…
View More हमरा के छोड़ि के ना जैह…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
बोल बोल भैया मोरे, राम राम बोल रे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
राम राम बोलने से प्राणी मात्र के प्राणों में राम रस का संचार हो जाता है इसलिए हे सज्जनों राम का भजन करो। राम राम…
View More बोल बोल भैया मोरे, राम राम बोल रे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसिंहासन त्यागि राम बन आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम राजसिंहासन त्याग कर वन में चले आए हैं और वन वन भटकते अपार दुख सहते भ्रमण कर रहे हैं। मुनियों का वेष धारण…
View More सिंहासन त्यागि राम बन आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसखि री श्याम न आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है राधा जी की विरह वेदना पर मेरी ये रचना:—– सखि री श्याम न आए । दिन बीतत मोरे बाट निहारत, रैना नींद न…
View More सखि री श्याम न आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभैया करहु संत गुणगान…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने संतों के पावन चरित्र का वर्णन किया है :——— भैया करहु संत गुणगान । भोज बृक्ष अपनी चमड़ी…
View More भैया करहु संत गुणगान…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रनर कोटिस जतन करे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य करोड़ों उपाय करले पर बिना प्रभु के भजन के भवसागर पार नहीं कर सकता। जप तप योग नियम व्रत ध्यान इस कलियुग में हो…
View More नर कोटिस जतन करे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रऐसो हैं कृपालु रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम ऐसे कृपालु हैं कि शरण में आए हुए को शरण में तो रख हीं लेते हैं उसे सुख सम्पदा भी देते हैं और…
View More ऐसो हैं कृपालु रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकि आरे भाइ राम नाम सुखदाई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हे भाई राम नाम अत्यंत सुखकारी है भजन करो। बड़े भाग्य से मनुष्य शरीर मिलता है और मनुष्य इसे सत्कर्म में न लगा कर दुष्कर्म…
View More कि आरे भाइ राम नाम सुखदाई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबोलो राम राम राम…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बोलो राम राम राम, हरे राम हरे राम । बोलो कौशल्या नन्दन, श्रीराम हरे राम । बोलो असुर निकन्दन, श्रीराम हरे राम ।। बोलो राम…
View More बोलो राम राम राम…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम से मेरी विनती जिसे मैने छन्द में लिखी है:—– हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो । हे कृपालू हे दयालू, करुणासिन्धु…
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