सिंहासन त्यागि राम बन आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम राजसिंहासन त्याग कर वन में चले आए हैं और वन वन भटकते अपार दुख सहते भ्रमण कर रहे हैं। मुनियों का वेष धारण…

View More सिंहासन त्यागि राम बन आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सखि री श्याम न आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है राधा जी की विरह वेदना पर मेरी ये रचना:—– सखि री श्याम न आए । दिन बीतत मोरे बाट निहारत, रैना नींद न…

View More सखि री श्याम न आए…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भैया करहु संत गुणगान…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने संतों के पावन चरित्र का वर्णन किया है :——— भैया करहु संत गुणगान । भोज बृक्ष अपनी चमड़ी…

View More भैया करहु संत गुणगान…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

नर कोटिस जतन करे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मनुष्य करोड़ों उपाय करले पर बिना प्रभु के भजन के भवसागर पार नहीं कर सकता। जप तप योग नियम व्रत ध्यान इस कलियुग में हो…

View More नर कोटिस जतन करे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

ऐसो हैं कृपालु रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम ऐसे कृपालु हैं कि शरण में आए हुए को शरण में तो रख हीं लेते हैं उसे सुख सम्पदा भी देते हैं और…

View More ऐसो हैं कृपालु रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कि आरे भाइ राम नाम सुखदाई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हे भाई राम नाम अत्यंत सुखकारी है भजन करो। बड़े भाग्य से मनुष्य शरीर मिलता है और मनुष्य इसे सत्कर्म में न लगा कर दुष्कर्म…

View More कि आरे भाइ राम नाम सुखदाई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

बोलो राम राम राम…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

बोलो राम राम राम, हरे राम हरे राम । बोलो कौशल्या नन्दन, श्रीराम हरे राम । बोलो असुर निकन्दन, श्रीराम हरे राम ।। बोलो राम…

View More बोलो राम राम राम…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम से मेरी विनती जिसे मैने छन्द में लिखी है:—– हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो । हे कृपालू हे दयालू, करुणासिन्धु…

View More हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हमार प्रभू जी सुधिया काहे ना लिहनी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

हे प्रभु आपने गणिका, गिद्ध, अजामिल, सदन कसाई आदि सभी पापियों की सुध ली उन्हें तारा, आपने शबरी, अहिल्या का भी उद्धार किया पर हे…

View More हमार प्रभू जी सुधिया काहे ना लिहनी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सोजा रघुबर प्यारे सोजा…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

माता कौशल्या बालक राम को लोरी गा गा कर सुला रहीं हैं। कहतीं हैं कि हे रघुबीर सूर्य अस्त हो गए, रात्रि हो गई, अंधेरा…

View More सोजा रघुबर प्यारे सोजा…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र