मन को भँवरा और प्रभु के चरण को कमल से उपमा दी गई है । जिस प्रकार भँवरा कमल पर लुभाए रहता है उसी प्रकार…
View More रे मनुवाँ हरि चरनन के लोभी …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
जपत मन आनन्द हरि हरि…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु का नाम जपने से मन में जो आनन्द की अनुभूति होती है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें…
View More जपत मन आनन्द हरि हरि…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररखियो राखी की लाज………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक राखी के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें एक बहन अपने भाई से देखिये क्या…
View More रखियो राखी की लाज………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकरिल प्रभु के चरनियाँ में…….….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी रचना भोजपुरी में लिखा भजन जिसमें जिन्दगी की सच्चाई वर्णित है । मनुष्य का जन्म सत्कर्म करने के लिये मिलता है परंतु…
View More करिल प्रभु के चरनियाँ में…….….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसनातन धर्म: prescriptions या restrictions?
PURNENDU PUSHPESH सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की जड़ों में गहराई से व्याप्त है।…
View More सनातन धर्म: prescriptions या restrictions?हर तरफ प्रभु यही अफसाने हैं……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना शरणागत भजन के रूप में जिसमें मैने प्रभु से विनती की है कि आपने किसी न किसी बहाने से केंवट,…
View More हर तरफ प्रभु यही अफसाने हैं……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजय जय जय माँ लक्ष्मी भवानी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी रचना माता लक्ष्मी की वन्दना :—– जय जय जय माँ लक्ष्मी भवानी । विष्णु प्रिया तुम जगत की माता , तुम हो…
View More जय जय जय माँ लक्ष्मी भवानी……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्रभु के नाम नाहीं आवै हो, चलन बेरीया……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य काम क्रोध मद लोभ मोह ममता में प्रभु को भूल जाता है यही कारण है कि जब अंत समय आता है तो उसके मुख…
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प्रस्तुत है ब्रह्मा विष्णु महेश की एक साथ वन्दना मेरी इस रचना के माध्यम से :—– विधि हरि हर को प्रणाम हमारा । ब्रह्मा करहीं…
View More विधि हरि हर को प्रणाम हमारा……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमैया विदा करे बेटी गौरा को……. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शिव पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ, विदाई की बेला आगई। माता मैना अपनी पुत्री को बिलख बिलख कर विदा कर रहीं हैं और पुत्री को…
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