सम्पादकीय : पूर्णेन्दु पुष्पेश सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणियों में सब-कैटेगरी बनाने की अनुमति देकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक…
View More कितना कारगर हो सकता है : कोटा के अंदर कोटाCategory: EDITORIAL
झारखंड के कुछ हिस्सों को केंद्र शासित राज्य बनाना चाहिए
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor झारखंड राज्य की स्थापना 15 नवम्बर 2000 को बिहार से अलग होकर की गई थी, और तब से लेकर आज तक…
View More झारखंड के कुछ हिस्सों को केंद्र शासित राज्य बनाना चाहिएहिन्दुत्व की पुनर्व्याख्या होनी चाहिए
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor हिन्दुत्व, एक अवधारणा जो भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समाहित करती है, आज की राजनीति और सामाजिक संरचना में…
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PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor पद और कद, दो ऐसे शब्द हैं जो अक्सर एक साथ इस्तेमाल होते हैं लेकिन उनके अर्थ और महत्व अलग-अलग होते…
View More पद के साथ कद मुफ्त नहीं मिलतानवाचार: वर्तमान और भविष्य के विकास की कुंजी
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor नवाचार, जिसे अंग्रेजी में “Innovation” कहा जाता है, किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति का प्रमुख स्तंभ है। यह वह…
View More नवाचार: वर्तमान और भविष्य के विकास की कुंजीसम्पादकीय : प्रधानमंत्री मोदी का बजट: एक नए भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का प्रथम सम्पूर्ण बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया। यह बजट मौलिक सोच और…
View More सम्पादकीय : प्रधानमंत्री मोदी का बजट: एक नए भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदमगुरु पूर्णिमा: अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की यात्रा
गुरु पूर्णिमा, भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण दिवस है जो हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरु…
View More गुरु पूर्णिमा: अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की यात्रानकारात्मकता के दलदल में फंसी राजनीति: एक संपादकीय दृष्टिकोण
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor आज के राजनीतिक वातावरण का अध्ययन करने पर स्पष्ट होता है कि सभी राजनीतिक दलों के अपने-अपने एजेंडे हैं। हर दल…
View More नकारात्मकता के दलदल में फंसी राजनीति: एक संपादकीय दृष्टिकोणराजनीति की नकारात्मकता और संविधान: एक संपादकीय विश्लेषण
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor लोकसभा चुनावों के दौरान, कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन ने व्यापक स्तर पर एक झूठा नैरेटिव चलाया कि यदि नरेंद्र…
View More राजनीति की नकारात्मकता और संविधान: एक संपादकीय विश्लेषणबच्चों के भविष्य का निर्माण: एक संपादकीय दृष्टिकोण
PURNENDU PUSHPESH, Chief Editor बच्चे एक तरह से पौधों की तरह होते हैं, और माता-पिता माली की तरह। जिस तरह से उनकी देखभाल की जाएगी,…
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