- ढाक के तीन पात साबित हुआ , डीएसई का स्पष्टीकरण
- विद्या का मंदिर हुआ कलंकित, विद्यालय प्रांगण में मिला शराब का खाली बोतल।
- मध्यान भोजन तथा रंग रोगन के नाम पर विद्यालय में हुआ भारी घपला, लाखों रुपए की राशि डकार गई प्रधानाध्यापिका
- मामले को जानकर भी मुकदर्शक बने बैठे हैं चतरा के जिला शिक्षा पदाधिकारी
- प्रतापपुर प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय जोगियारा में पठन-पाठन का माहौल चौपट
रिपोर्ट : नवीन कुमार पाण्डेय
चतरा: कहते हैं कि शिक्षक का स्थान भगवान से भी ऊपर होता है क्योंकि ब्रह्म का ज्ञान भी इन्हीं से प्राप्त होता है परंतु आज स्थिति बिल्कुल बदल सा गया है आज के कलियुगी द्रोणाचार्य बच्चों को शिक्षा और संस्कार देने के बजाय उनका चारित्रिक पतन करने में लगे हुए हैं। जी हां !सुनने में यह बात भले ही अटपटा सा लगता है परंतु सोलह आने सच है।इसका ज्वलंत उदाहरण चतरा जिले के प्रतापपुर प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय जोगियारा में देखने को मिला, जहां अध्ययन करने वाले लगभग 700 छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के साथ विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका खिलवाड़ करने में लगी हुई है।
यदि सच कह तो यह विद्यालय इनदिनों विद्या का मंदिर न होकर राजनीति का अखाड़ा बन चुका है ।इस विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका विनीता कुमारी तथा एक सहायक शिक्षक के करतूत के कारण विद्यालय का पठन-पाठन का माहौल बिल्कुल बिगड़ गया है ।इस बात का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं कि जब विद्यालय प्रांगण में अंग्रेजी शराब का खाली बोतल का मिलना एक साथ कई प्रश्नों को खड़ा कर देता है।
विश्वास सूत्रों का कहना है कि बच्चों का उपस्थित यहां 25 फ़ीसदी ही होता है जबकि उपस्थिति पंजी में छेड़छाड़ कर उसे अस्सी प्रतिशत बढाकर बनाया जाता है और इस प्रकार से मध्यान भोजन का राशि को तरीके से डकार लिया जाता है। प्रतापपुर प्रखंड भाग 1 के जिला परिषद सदस्य रविता देवी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी चतरा को एक पत्र लिखकर विद्यालय की वस्तु स्थिति से न सिर्फ अवगत कराया है बल्कि विद्यालय में हो रहे व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ भी की है परंतु जिला शिक्षा पदाधिकारी पूरे मामले को जानकर भी चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे या तो वे धृतराष्ट्र की भूमिका में होकर खुले तौर पर प्रधानाध्यापिका को संरक्षण दे रहे हैं या फिर विद्यालय से होने वाले गाड़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा उनका भी निश्चित है यही कारण है कि वे इस मामले को ठंडा वस्ता में डालकर चयन की बंसी बजा रहे हैं।
रविता देवी का कहना है कि इस विद्यालय में शौचालय का स्थिति काफी जर्जर है जिससे बच्चियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार से पेयजल सुविधा का भी घोर अभाव है और इन्हें दूषित पानी पीना पड़ता है जिससे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। विद्यालय के कंप्यूटर कक्ष में हमेशा ताला लगा कर रखा जाता है जिससे बच्चों का पठन-पाठन ढंग से नहीं हो पाता है। इस प्रकार से खेल सामग्री की राशि को भी गबन कर लिया जाता है और बच्चों को खेल सामग्री उपलब्ध नहीं कराया जाता है जिससे वे ढंग से खेल भी नहीं पाते हैं। रविता देवी का स्पष्ट कहना है कि जबतक विद्यालय से प्रधानाध्यापिका विनीता कुमारी का स्थानांतरण दूसरे विद्यालय में नहीं किया जाता है तबतक यहां पढ़ाई लिखाई का माहौल नहीं बन पाएगा।
उत्क्रमित उच्च विद्यालय जोगियारा में पढ़ाई लिखाई का वातावरण दूषित हो गया है ,इस बात का सबसे ज्वलंत उदाहरण यह है कि चतरा के जिला शिक्षा अधीक्षक अभिषेक बड़ाईक के द्वारा 10 मई को विद्यालय का औचक निरीक्षण किया गया था जिसमें विद्यालय की कई कमियां उजागर हुई थी। इस बाबत डीएसई ने मौके पर मौजूद प्रभारी प्रधानाध्यापिका विनीता कुमारी को न सिर्फ जमकर फटकार लगाया था बल्कि अपने पत्रांक 680 दिनांक 10.5 .2023 के द्वारा एक स्पष्टीकरण भी लिखा था । अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने साफ तौर पर इस बात का जिक्र किया था कि विद्यालय भवन में बड़ा सा गेट तथा चारदीवारी रहने के बावजूद जांच के क्रम में अंग्रेजी शराब का कई खाली बोतल पाए गए थे।
इस प्रकार से विद्यालय के रंग रोगन के लिए प्राप्त 75000 की राशि भी निकाल लिया गया था जबकि विद्यालय का रंग रोगन नहीं कराया गया था। डीएसई ने इस विद्यालय में मध्यान भोजन का चावल में भी घोटाले की बात कही थी ,जिसके अनुसार न सिर्फ चावल का घोटाला हुआ था बल्कि मध्यान भोजन का अन्य सामग्री के नाम पर भी लाखों रुपए की राशि गवन कर लिया गया था। हालांकि डीएसई का यह स्पष्टीकरण बाद में ढाक के तीन पात साबित हुआ और सेटिंग वेटिंग के तहत पूरा मामले को रफा दफा कर दिया गया। इस पूरे मामले को गौर से देखा जाए तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं ।
यह दीगर पहलू है कि मार्च माह में मध्यान भोजन का स्टॉक रजिस्टर में जितना चावल तथा राशि का जिक्र किया गया था पुनः उसी चावल को मई माह में भी डीएससी के जांच में दिखा दिया गया। इस प्रकार 34 क्विंटल चावल को स्टॉक में अतिरिक्त दिखाकर तथा सामग्री के नाम पर एक लाख दस हजार रुपए की राशि का बंदरबाट कर लिया गया। इस मामले का यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो पर्दे की आड़ में पक रहे इस खिचड़ी का भनक सभी को लग जाएगा तथा यह भी पता चल जाएगा कि आखिर प्रधानाध्यापिका ने ढाई लाख रुपए की मध्यान भोजन की राशि को आखिर कैसे डकार गई?
वहीं दूसरी ओर डीएसई द्वारा जारी स्पष्टीकरण से संबंधित पूछे गए सवाल के जवाब में प्रभारी प्रधानाध्यापिका विनीता कुमारी का कहना है कि डीएसई द्वारा गलत ढंग से स्पष्टीकरण निकाला गया हैं तथा विद्यालय में कोई घोटाला नहीं हुआ है तथा रंग रोगन का कार्य भी हुआ है। इस प्रकार प्रधानाध्यापिका ने डीएसई के स्पष्टीकरण को झूठा बताकर जिला शिक्षा अधीक्षक के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है ।सूत्रों का यह भी कहना है कि विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका विनीता कुमारी सिर्फ नाम मात्र की प्रधानाध्यापिका है जबकि विद्यालय का सारा कार्य एक सहायक के द्वारा किया जाता है और इन्हीं के देखरेख में यह पूरा विद्यालय संचालित होता है । इस प्रकार विद्यालय का पूरा बागडोर फिलहाल एक सहायक शिक्षक संभाल रहे हैं।
फिलहाल विद्यालय के इस कार्य शैली पर स्थानीय ग्रामीणों तथा अभिभावकों का काफी गुस्सा है जो कभी भी आक्रोशित होकर उग्र आंदोलन का रूप ले सकता है।