प्रस्तुत है मेरी रचना जिसमें एक भक्त की प्रभु से मिलने की व्याकुलता दर्शाया गया है:——
भैया कवनेहिं देशवा प्रभू की नगरी ।
मोहे रहिया बता दो धरि के जाऊँ डगरी ।।
भैया कवनेहिं देशवा………..
अवध में राम गोकुल में कन्हैया,
काशी में शिव की बसल नगरी ।
धरि के जाऊँ डगरी ।
भैया कवनेहिं देशवा………..
बनवाँ में राम बृन्दाबन कन्हैया,
उजैनी में शिव की बसल नगरी ।
धरि के जाऊँ डगरी ।
भैया कवनेहिं देशवा………..
द्वारका में कृष्ण कैलाश में शंकर,
क्षीर सागर में हरी की नगरी ।
धरि के जाऊँ डगरी ।
भैया कवनेहिं देशवा………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र