खाली हाथ आया बन्दे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मनुष्य संसार में जब जन्म लेता है तो खाली हाथ इस पृथ्वी पर आता और जब इस दुनिया से विदा लेता है तो खाली हाथ ही विदा लेता है। यहाँ तो सब कुछ दूसरों का दिया हुआ है। जन्म माता पिता ने दिया, शिक्षा गुरू ने दिया, धन दौलत प्रभु की कृपा से प्राप्त हुआ, यहाँ तक कि मृत्यु के पश्चात दूसरे चार लोग ही श्मशान घाट ले जाते हैं , चिता सजाने के लिए दो गज भूमि भी अपनी नहीं है। जब साथ कुछ भी नहीं जाएगा फिर यह तेरा है यह मेरा है किस के लिये करना। मनुष्य का कर्म हीं उसके साथ जाता है। इसलिए सुन्दर कर्म करना चाहिए। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——-

खाली हाथ आया बन्दे ,
खाली हाथ जाएगा ।
जन्म दिया तोहे मातु पिता ने ,
सीख गुरू से पाया ।
धन दौलत हरि कृपा से पाया ,
साथ न ले कर जाएगा ।
खाली हाथ आया बन्दे………..
चार जने तोहे ढो के ले जैहैं ,
दो गज भूमि आपनु नाहिं होइहैं ।
माटी का यह तन रे बन्दे ,
माटी में मिल जाएगा ।
खाली हाथ आया बन्दे………..
तेरा मेरा छोड़ रे बन्दे ,
नहीं किसी का कुछ भी ।
सब कुछ तो एहिजै रहि जैहैं ,
कर्महिं साथ जाएगा ।
खाली हाथ आया बन्दे………..

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र