लगन लागि तोह से राम रघुरैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जिनकी प्रभु के चरण में लगन लग गई वह भवसागर पार उतर गया। गणिका, गिद्ध, अजामिल आदि सब अधम पापी प्रभु में नेह लगा कर भवसागर पार हो गए। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—–

लगन लागि तोह से राम रघुरैया ।
तुम हीं हो सारे जगत के रचैया ।
लगन लागि तोह से…………
गणिका को तारे अजामिल को तारे ,
सदन कसाई को तुम हीं उद्धारे ,
तुम हीं हो द्रौपदी कि लाज रखैया ।
लगन लागि तोह से…………
शबरी को तारे अहिल्या को तारे ,
गिद्ध जटायू को तुम हीं उद्धारे ,
तुम हीं हो केवट को पार लगैया ।
लगन लागि तोह से…………
बाली को तारे बिराध को तारे ,
खर दूषण त्रिशिरा को तुम हीं संहारे ,
तुम हीं हो भवसागर के खेवैया ।
लगन लागि तोह से…………

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र