आज प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें माता के नौ रूप को दर्शाया गया है :———- पधारी मोरे अंँगना जग जननी माई । प्रथम दिवस…
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मैया अँगने में हमरो पधारो हे माई……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक भक्त अपने आँगन को सजा कर माता को बुला रहा है कि हे माता मेरे आँगन में पधारो। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी…
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——- देवी वन्दना -—– नमस्तुभ्यम् महादेवी लोक कल्याणकारिणी । नमस्तुभ्यम् महादेवी सर्व संकटहारिणी ।। नमस्तुभ्यम् महादेवी सर्व पाप विनाशिनी । नमस्तुभ्यम् महादेवी सर्व कष्ट निवारिणी…
View More मस्तुभ्यम् महादेवी लोक कल्याणकारिणी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजय रघुबीर भगत हितकारी……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—— जय रघुबीर भगत हितकारी । जय जय जय संतन्ह सुखकारी । नारद मुनि को…
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मनुष्य काम, क्रोध, मद, मोह, ममता आदि के वश में होकर इस अपार संसार सागर में भटकते फिरता है जिससे वह कहीं विश्राम नहीं पाता।…
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प्रस्तुत है मेरी रचना जिसमें एक भक्त की प्रभु से मिलने की व्याकुलता दर्शाया गया है:—— भैया कवनेहिं देशवा प्रभू की नगरी । मोहे रहिया…
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प्रस्तुत है भोजपुरी में शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :—-— नाथ हमरो के तारीं शरन अइनी जी । गणिका के तरनी अजामिल…
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केवँट भगवान राम का चरण पखार कर परिवार सहित चरणामृत पान किया फिर प्रसन्न मन से प्रभु को गंगा पार उतारा। प्रभु उतराई देना चाहते…
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प्रस्तुत है मेरी रचना शरणागत भजन के रूप में :—–— आयो तेरी शरण में कृपालू प्रभू, लाज राखो हमारी दयालू प्रभू । मैं तो कपटी…
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गोपियाँ कहती हैं कि हे सखी देखो कन्हैया आ कर मटकी फोड़ गया। कुछ माखन खाया कुछ भूमी पर गिरा दिया और कुछ ग्वालों को…
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