आए कंत नहीं केहि कारन। …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

आए कंत नहीं केहि कारन  —- कर सोलह श्रृंगार दुल्हनियां, करे पती इंतजार । आए कंत नहीं केहि कारन, बीते पाहर चार ।। किय कोई…

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रोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

रोवत बीते रैन —- पिया बिनु रोवत बीते रैन । दिन में चैन मोहे नहिं आवै, निन्दिया रात न नैन । पिया बिनु रोवत बीते…

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गृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

गृहलक्ष्मी का आदर मान करो —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित…

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अब नहिं शहर सुहात…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अब नहिं शहर सुहात —- गावँ छोड़ कर शहर को आया , अब नहिं शहर सुहात । घुटन भरी यह जिन्दगी , कैसे पाउँ निजात…

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