आए कंत नहीं केहि कारन —- कर सोलह श्रृंगार दुल्हनियां, करे पती इंतजार । आए कंत नहीं केहि कारन, बीते पाहर चार ।। किय कोई…
View More आए कंत नहीं केहि कारन। …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
रोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रोवत बीते रैन —- पिया बिनु रोवत बीते रैन । दिन में चैन मोहे नहिं आवै, निन्दिया रात न नैन । पिया बिनु रोवत बीते…
View More रोवत बीते रैन….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रउजड़ा बाग…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
उजड़ा बाग —- कल चमन था , आज उजड़ा बाग है । थीं गूँजती किलकारियाँ , हर रोज मेरे आँगन में । कभि नाचती थीं…
View More उजड़ा बाग…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रगृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
गृहलक्ष्मी का आदर मान करो —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित…
View More गृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचेतो मानव ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
चेतो मानव —- यह सूर्य है इतना तपता क्यूँ ? क्यूँ धरती इतनी गरम हुई ? सरोवर का जल सूख गया क्यूँ ? नदियाँ क्यूँ…
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नारी —- हम दे न सके वह आदर , जिसकी वो थी हकदार । कहने को देवी बनाया , पर किया नहीं सत्कार । जिसने…
View More नारी …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकौन हो तुम ? …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कौन हो तुम ? —- सागर सी गहरी आँखों वाली , कौन हो तुम ये मुझे बता । सूरज की क्या प्रथम किरण हो ,…
View More कौन हो तुम ? …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअब नहिं शहर सुहात…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
अब नहिं शहर सुहात —- गावँ छोड़ कर शहर को आया , अब नहिं शहर सुहात । घुटन भरी यह जिन्दगी , कैसे पाउँ निजात…
View More अब नहिं शहर सुहात…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकहाँ गए वे दिन ? …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कहाँ गए वे दिन ? —- चारु चन्द्र की चंचल किरणें , बरस रही थीं आँगन में । खेल रहे थे लाल हमारे , आँख…
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जाने कहाँ गए वो दिन —- जाने कहाँ गए वो दिन ??????? न बाग न बगिया न फूस की चटाई । न बरगद की छाँव…
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