गृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

गृहलक्ष्मी का आदर मान करो —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित…

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अब नहिं शहर सुहात…ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अब नहिं शहर सुहात —- गावँ छोड़ कर शहर को आया , अब नहिं शहर सुहात । घुटन भरी यह जिन्दगी , कैसे पाउँ निजात…

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कन्यादान…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कन्यादान —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित प्यार दुलार दिया ।…

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