रे मूरख प्राणी तू राम को कहाँ खोज रहा है ? राम तो तेरे मन के अन्दर हीं बैठे हैं और तू तीर्थ तीर्थ मन्दिर…
View More बताओ कहाँ मिलेगें राम…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
सुखवा सब कोई बाँटे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
सुख में तो सभी साथ निभाते हैं लेकिन जब बुरे दिन आते हैं तो सभी साथ छोड़ जाते हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है…
View More सुखवा सब कोई बाँटे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभैया सुख दुख आए जाए…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जीवन में सुख दुख आते जाते रहते हैं और जो न सुख में हर्षित होते हैं न दुख में दुखी होते हैं वही धीर पुरुष…
View More भैया सुख दुख आए जाए…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रलगन लागि तोह से राम रघुरैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जिनकी प्रभु के चरण में लगन लग गई वह भवसागर पार उतर गया। गणिका, गिद्ध, अजामिल आदि सब अधम पापी प्रभु में नेह लगा कर…
View More लगन लागि तोह से राम रघुरैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररघुबीर शरन तेरी आयो जी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——— रघुबीर शरन तेरी आयो जी । कितने पापि शरन तेरी आए , करि के…
View More रघुबीर शरन तेरी आयो जी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रखाली हाथ आया बन्दे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य संसार में जब जन्म लेता है तो खाली हाथ इस पृथ्वी पर आता और जब इस दुनिया से विदा लेता है तो खाली हाथ…
View More खाली हाथ आया बन्दे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रऐसो हैं कृपालु रघुराई……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम ऐसे कृपालु हैं कि शरण में आए हुए को शरण में तो रख हीं लेते हैं उसे सुख सम्पदा भी देते हैं और…
View More ऐसो हैं कृपालु रघुराई……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबटोही जीवन के दिन चार……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य एक पथिक है जो इस ममता मोह रुपी संसार में भटकते फिरता है। बड़े भाग्य से मनुष्य शरीर मिलता है इसलिए इसका सदुपयोग कर…
View More बटोही जीवन के दिन चार……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम जी सबको पार लगाते……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम को जो भी प्रेम से भजा प्रभु ने सबको भवसागर पार उतारा। शबरी, केंवट, अहिल्या, कोल, भील, किरात, गणिका, गिद्ध, अजामिल सभी प्रभु…
View More राम जी सबको पार लगाते……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रदीनों के नाथ बिनती सुनो मोरि………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
दीनों के नाथ दीनानाथ से मेरी ये विनती मेरी इस रचना के माध्यम से शरणागत भजन के रूप में :—– दीनों के नाथ बिनती सुनो…
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