भारत का भविष्य: एक महाशक्ति की ओर कदम

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।  

हाल ही में जारी “एशिया पावर इंडेक्स 2024” रिपोर्ट में भारत को तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बताया गया है। यह उपलब्धि न केवल एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है। इस सूची में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान हासिल किया है, जबकि अमेरिका और चीन अभी भी शीर्ष दो स्थानों पर बने हुए हैं। इस घटनाक्रम का विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक क्षमता का स्पष्ट संकेत है। इसके साथ ही, यह समझने की आवश्यकता है कि इस बढ़ती शक्ति से भारत को क्या लाभ हो सकता है और इसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगे।

एशिया पावर इंडेक्स 2024 को तैयार करने के लिए 27 देशों के विभिन्न आंकड़ों का गहन विश्लेषण किया गया है। इसमें देशों की आर्थिक क्षमता, सैन्य शक्ति, संसाधनों की उपलब्धता, और राजनयिक संबंधों जैसे मापदंडों को शामिल किया गया है। भारत की रैंकिंग में सुधार इस बात का संकेत है कि भारत ने अपनी क्षमता में लगातार सुधार किया है। आर्थिक रूप से, भारत तेजी से उभरती हुई शक्ति के रूप में सामने आ रहा है। जहाँ पहले भारत को विकासशील देशों की श्रेणी में रखा जाता था, अब वह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सैन्य ताकतों में से एक बन चुका है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई है। भारत की आर्थिक क्षमता में निरंतर वृद्धि, भविष्य की संसाधन उपलब्धता, और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ती भूमिका इस उपलब्धि के मुख्य कारण हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में भारत को 36.3 अंक मिले थे, जो 2024 में बढ़कर 39.1 अंक हो गए हैं।

भारत की आर्थिक तरक्की इस रिपोर्ट का प्रमुख आधार है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे उसकी स्थिति को वैश्विक पटल पर और भी मजबूत किया गया है। आर्थिक विकास के साथ-साथ भारत ने अपने कूटनीतिक संबंधों को भी मजबूत किया है। दक्षिण एशिया और आसियान देशों में भारत की मदद और मानवीय सहायता इसके प्रभाव का प्रमुख उदाहरण हैं।

भारत ने अपने पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, भूटान, श्रीलंका, और बांग्लादेश की संकट के समय में मदद की है, जिससे उसकी क्षेत्रीय स्थिति मजबूत हुई है। इसके अलावा, वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भागीदारी भी उसे एक मजबूत कूटनीतिक शक्ति के रूप में उभार रही है। हाल ही में, भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक आवाज बनने का प्रयास किया है, जिससे उसकी प्रतिष्ठा में और इजाफा हुआ है।

भारत की बढ़ती ताकत न केवल एशिया में बल्कि पूरी दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर रही है। भारत का आर्थिक और सैन्य प्रभाव उसे न केवल अपने पड़ोसी देशों के साथ बल्कि बड़े वैश्विक ताकतों के साथ भी कूटनीतिक संबंध मजबूत करने में मदद कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध या इजराइल-हमास संघर्ष के समय भारत की तटस्थ भूमिका और शांति वार्ता की पहल ने उसे एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।

भारत ने हमेशा यह सिद्ध किया है कि वह आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किए बिना कूटनीति के जरिए समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है। यह नीति भारत को वैश्विक शक्तियों के बीच एक अनूठा स्थान प्रदान करती है। चीन की बढ़ती ताकत और दक्षिण एशिया में उसके प्रभाव को देखते हुए, भारत के लिए यह ज़रूरी हो गया है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे और आर्थिक तथा सामरिक दृष्टि से खुद को सशक्त बनाए।

भारत की बढ़ती ताकत के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। एशिया पावर इंडेक्स में भले ही भारत को तीसरा स्थान मिला हो, लेकिन रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत की क्षमता और वास्तविकता के बीच कुछ अंतर है। भारत के पास संसाधनों की प्रचुरता है, लेकिन उसका संपूर्ण उपयोग करने में अभी और समय लगेगा।

भारत को दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए लगातार सजग रहना होगा। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए भारत को अपनी अर्थव्यवस्था, सैन्य क्षमता और कूटनीतिक संबंधों को और भी मजबूत करना होगा।

भारत को भविष्य में एक महाशक्ति बनने के लिए कई मोर्चों पर अपनी नीतियों में सुधार और स्थिरता लाने की आवश्यकता होगी। इसमें मुख्य रूप से आर्थिक विकास, सैन्य सशक्तिकरण, कूटनीतिक संतुलन, और तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

भारत की बढ़ती ताकत न केवल उसकी क्षेत्रीय स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि उसे वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी ले जा रही है। हाल के वर्षों में भारत ने जो आर्थिक सुधार किए हैं, वे उसके भविष्य को उज्ज्वल बना रहे हैं। ग्लोबल साउथ के देशों में उसकी प्रतिष्ठा और भी बढ़ रही है, और यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में भारत इन देशों का नेतृत्व करेगा।

भारत की विदेश नीति का प्रमुख उद्देश्य ‘इंडिया फ़र्स्ट’ है। भारत को अपने पड़ोसियों और अन्य देशों के साथ सामंजस्य बनाए रखने और विश्व की प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने की चुनौती है। यह नीति भारत को आर्थिक और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने में मदद कर रही है।

भारत ने हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों, कूटनीतिक नीतियों, और सैन्य शक्ति में सुधार के जरिए अपनी स्थिति को मजबूत किया है। यह उपलब्धि भारत को भविष्य में वैश्विक पटल पर और भी प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगी। एशिया पावर इंडेक्स 2024 के अनुसार, भारत की यह यात्रा अब और भी रफ्तार पकड़ने वाली है, और आने वाले वर्षों में भारत का प्रभाव और भी व्यापक होगा।

भारत के पास महाशक्ति बनने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति, व्यापार, और सुरक्षा के क्षेत्र में और अधिक प्रभावी कदम उठाने होंगे। भारत को अपने आंतरिक मामलों में सुधार करते हुए, सर्विस सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही, उसे भूमि, श्रम और कर के मसलों में बड़े सुधार करने होंगे।

इसके अलावा, भारत को अपनी तकनीकी क्षमता का भी विस्तार करना होगा। देश में स्टार्टअप कल्चर और इनोवेशन को बढ़ावा देकर, भारत अपनी आर्थिक वृद्धि को और तेज़ी से बढ़ा सकता है। यह सुधार भारत को केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि तकनीकी और सैन्य दृष्टि से भी महाशक्ति बनने की दिशा में ले जाएगा।

भारत की तीसरे स्थान पर पहुंचने की उपलब्धि न केवल एशिया में बल्कि पूरे विश्व में उसकी बढ़ती शक्ति का प्रतीक है। भारत की आर्थिक और कूटनीतिक नीतियों में सुधार के माध्यम से वह एक महाशक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह यात्रा लंबी और चुनौतियों से भरी हो सकती है, लेकिन भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह वैश्विक पटल पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत का भविष्य उज्ज्वल है, और यह निश्चित है कि आने वाले समय में भारत की वैश्विक नेतृत्व की भूमिका और भी मजबूत होगी। एशिया पावर इंडेक्स 2024 इस बात का प्रमाण है कि भारत एक महाशक्ति बनने की यात्रा पर अग्रसर है।