दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें …ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 गजल —- दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें । फासले ये जिन्दगी के, मिल के निपटाते चलें ।। दो कदम तुम…

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मोह जनित अज्ञान …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मोह जनित अज्ञान —- मोह जनित अज्ञान ते, मानव मन कलुषाय । मत्सरता की आग में, पल पल जरता जाय ।। मानव मन में मैल…

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पाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!

-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘    एक ख्याल आया और मुस्कान छूट गई। फिर सोचा — हँसी में टाल देने जैसी भी नहीं है यह बात।…

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कि हरि हरि बगिया में डलबो झुलनवाँ…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक पत्नी का पती परदेस से घर आया है और पत्नी उत्साह से भरी कहती है कि बाग में झूला लगाऊँगी और आज पिया के…

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सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक विरहन अपने प्रियतम के वियोग मे व्याकुल प्रियतम की प्रतिदिन बाट निहार रही है। बावली हुई प्रियतम की खोज में बन बन गली गली…

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पिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सावन का महीना, पति परदेश, एक विरहन प्रियतम के विरह में व्याकुल भगवान कृष्ण से अपनी विरह वेदना सुनाते हुए विनती कर रही है कि…

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रिमझिम बरसे बदरिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक पत्नी का पति परदेश से घर आया है। बरसात का मौसम है। बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, रिमझिम वर्षा बरस रही…

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कश्मीर की आर्थिक उन्नति से विचलित आतंक: पहलगाम पर सुनियोजित हमला

सम्पादकीय: पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ कश्मीर की घाटी एक बार फिर स्थानीय राजनीति और आतंकवादी साजिशों के केंद्र में आ चुकी है। एक ओर केंद्र…

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सावन की आई बहार हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

शिव जी का परम पवित्र सावन मास की मनोहारी सुहावनी छटा का वर्णन मेरी इस रचना के माध्यम से:——– सावन की आई बहार हो, बरसे…

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चित्रगुप्त से कही गयी गौरैया पीड़ा कथा -डॉ प्रशान्त करण

चित्रगुप्त जी को अपनी नींद और अपना ऐशोआराम बड़ा प्रिय था। इससे उनके अहंकार का पौधा वटवृक्ष बन खूब फैलने लगा था। परिवारवाद ने यह…

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