आओ प्रिये….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 आओ प्रिये —- प्यार का मौसम प्रिये, आया बहार लेकर । हैं पल्लवित पुष्पित तरू, यौवन खुमार लेकर । कोयल बुलावत हे प्रिये, कुहु कुहु…

View More आओ प्रिये….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें …ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 गजल —- दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें । फासले ये जिन्दगी के, मिल के निपटाते चलें ।। दो कदम तुम…

View More दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें …ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मोह जनित अज्ञान …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मोह जनित अज्ञान —- मोह जनित अज्ञान ते, मानव मन कलुषाय । मत्सरता की आग में, पल पल जरता जाय ।। मानव मन में मैल…

View More मोह जनित अज्ञान …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कि हरि हरि बगिया में डलबो झुलनवाँ…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक पत्नी का पती परदेस से घर आया है और पत्नी उत्साह से भरी कहती है कि बाग में झूला लगाऊँगी और आज पिया के…

View More कि हरि हरि बगिया में डलबो झुलनवाँ…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक विरहन अपने प्रियतम के वियोग मे व्याकुल प्रियतम की प्रतिदिन बाट निहार रही है। बावली हुई प्रियतम की खोज में बन बन गली गली…

View More सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

पिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सावन का महीना, पति परदेश, एक विरहन प्रियतम के विरह में व्याकुल भगवान कृष्ण से अपनी विरह वेदना सुनाते हुए विनती कर रही है कि…

View More पिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

रिमझिम बरसे बदरिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

एक पत्नी का पति परदेश से घर आया है। बरसात का मौसम है। बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, रिमझिम वर्षा बरस रही…

View More रिमझिम बरसे बदरिया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सावन की आई बहार हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

शिव जी का परम पवित्र सावन मास की मनोहारी सुहावनी छटा का वर्णन मेरी इस रचना के माध्यम से:——– सावन की आई बहार हो, बरसे…

View More सावन की आई बहार हो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

तुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना गजल के रूप में :—— तुम न आए सनम मैं बुलाती रही । क्या खता थी हमारी बताते सनम ,…

View More तुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र