कन्यादान —- वह पिता बड़ा बड़भागी है , जिसने बेटी को जनम दिया । पाला पोषा और बड़ा किया , अपरिमित प्यार दुलार दिया ।…
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फेसबुक …..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
फेसबुक —- जुकरबर्ग ने दिया उपहार , सबके जीने का आधार । रहा न जाए बिना फेसबुक , हम सब करते इससे प्यार । दुनिया…
View More फेसबुक …..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रआओ प्रिये….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आओ प्रिये —- प्यार का मौसम प्रिये, आया बहार लेकर । हैं पल्लवित पुष्पित तरू, यौवन खुमार लेकर । कोयल बुलावत हे प्रिये, कुहु कुहु…
View More आओ प्रिये….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबाप का अरमान…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बाप का अरमान —- बाप का अरमान था बेटा बने कुछ । दफन कर दी खुद के अरमानों को , यह सोच कर, बेटा बने…
View More बाप का अरमान…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रदो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें …ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
गजल —- दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें । फासले ये जिन्दगी के, मिल के निपटाते चलें ।। दो कदम तुम…
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मोह जनित अज्ञान —- मोह जनित अज्ञान ते, मानव मन कलुषाय । मत्सरता की आग में, पल पल जरता जाय ।। मानव मन में मैल…
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एक पत्नी का पती परदेस से घर आया है और पत्नी उत्साह से भरी कहती है कि बाग में झूला लगाऊँगी और आज पिया के…
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एक विरहन अपने प्रियतम के वियोग मे व्याकुल प्रियतम की प्रतिदिन बाट निहार रही है। बावली हुई प्रियतम की खोज में बन बन गली गली…
View More सखि री कंत न आए ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रपिया बिनु बीते नहीं दिन रैन………..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
सावन का महीना, पति परदेश, एक विरहन प्रियतम के विरह में व्याकुल भगवान कृष्ण से अपनी विरह वेदना सुनाते हुए विनती कर रही है कि…
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एक पत्नी का पति परदेश से घर आया है। बरसात का मौसम है। बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, रिमझिम वर्षा बरस रही…
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