पंचतत्व से बना मनुष्य का यह शरीर एक दिन मिट्टी में हीं मिल जाना है। धन दौलत सब धरा का धरा हीं रह जाएगा फिर…
View More यह तन माटी में मिल जाना…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
चुनरिया हो गइ मैली मोरी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
चुनरिया हो गइ मैली मोरी। मैने अपनी इस रचना में चुनरी को शरीर की संज्ञा दी है। मनुष्य जब जगत में आता है तो उसका…
View More चुनरिया हो गइ मैली मोरी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबताओ कहाँ मिलेगें राम…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
रे मूरख प्राणी तू राम को कहाँ खोज रहा है ? राम तो तेरे मन के अन्दर हीं बैठे हैं और तू तीर्थ तीर्थ मन्दिर…
View More बताओ कहाँ मिलेगें राम…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसुखवा सब कोई बाँटे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
सुख में तो सभी साथ निभाते हैं लेकिन जब बुरे दिन आते हैं तो सभी साथ छोड़ जाते हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है…
View More सुखवा सब कोई बाँटे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभैया सुख दुख आए जाए…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जीवन में सुख दुख आते जाते रहते हैं और जो न सुख में हर्षित होते हैं न दुख में दुखी होते हैं वही धीर पुरुष…
View More भैया सुख दुख आए जाए…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रलगन लागि तोह से राम रघुरैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जिनकी प्रभु के चरण में लगन लग गई वह भवसागर पार उतर गया। गणिका, गिद्ध, अजामिल आदि सब अधम पापी प्रभु में नेह लगा कर…
View More लगन लागि तोह से राम रघुरैया…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररघुबीर शरन तेरी आयो जी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना :——— रघुबीर शरन तेरी आयो जी । कितने पापि शरन तेरी आए , करि के…
View More रघुबीर शरन तेरी आयो जी…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रखाली हाथ आया बन्दे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य संसार में जब जन्म लेता है तो खाली हाथ इस पृथ्वी पर आता और जब इस दुनिया से विदा लेता है तो खाली हाथ…
View More खाली हाथ आया बन्दे…….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रऐसो हैं कृपालु रघुराई……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम ऐसे कृपालु हैं कि शरण में आए हुए को शरण में तो रख हीं लेते हैं उसे सुख सम्पदा भी देते हैं और…
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मनुष्य एक पथिक है जो इस ममता मोह रुपी संसार में भटकते फिरता है। बड़े भाग्य से मनुष्य शरीर मिलता है इसलिए इसका सदुपयोग कर…
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